गोकुल वासी श्री कृष्ण मुरारी,
तीनोही काल तेरी महिमा न्यारी !
हारेहुवों पर कृपा दृष्टी तुम्हारी,
संसार में एक तुमही कष्टहारी !
आया शरण मै अब तुम्हारी,
जीवन उद्धारो प्रभु मर्जी तुम्हारी !
आस बुझाओ दर्शन की हमारी ,
मन में बसे मूरत तुम्हारी !
हर पल सुमिरन करू तुम्हारी,
बाते करू तो प्यारी तुम्हारी !
सांवली सूरत बड़ी प्यारी तुम्हारी,
प्रियसखा हमारे तुम श्रीकृष्ण हरी !
मायामोह में झपेटे हम संसारी,
मोहे सम्भालों घनश्याम तुम गिरिधारी ...
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